
अजमेर और शामली में दिल दहला देने वाले हत्याकांड: जीवनसाथी की साजिश
भारत के दो अलग-अलग राज्यों में, राजस्थान के अजमेर और उत्तर प्रदेश के शामली में, हाल ही में दो ऐसी घटनाएं घटीं जो समाज की नींव को हिला देने वाली हैं। ये दो हत्याकांड न केवल अपराध की दुनिया में एक नई मिसाल कायम करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे आधुनिक तकनीक अपराधियों को बेनकाब कर सकती है। इन मामलों में, पति-पत्नी के रिश्ते की पवित्रता पर सवाल उठते हैं, जहां जीवनसाथी ही एक-दूसरे की मौत का कारण बने। मैंने इन घटनाओं का गहन विश्लेषण किया है, पुलिस की जांच रिपोर्ट्स, सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स) और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर, और यह समझने की कोशिश की है कि कैसे छोटी-छोटी बातें बड़े अपराधों को जन्म देती हैं। इस लेख में, मैं इन दोनों मामलों को विस्तार से बताऊंगा, उनकी पृष्ठभूमि, घटना का विवरण, पुलिस की जांच और अंतिम नतीजे पर चर्चा करूंगा। मेरा उद्देश्य है कि पाठक इन घटनाओं से सबक लें और समाज में बढ़ते अविश्वास पर विचार करें।
पृष्ठभूमि: अपराध की जड़ें और सामाजिक संदर्भ
भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है, जहां पति-पत्नी एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी होते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में, एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स, आर्थिक दबाव और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के कारण ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जहां रिश्ते हत्या तक पहुंच जाते हैं। अजमेर और शामली के ये मामले इसी प्रवृत्ति के उदाहरण हैं। अजमेर, जो राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां की घटना राखी के पवित्र त्योहार पर घटी, जो भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, लेकिन यहां पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आई। वहीं शामली, उत्तर प्रदेश का एक छोटा शहर, जहां कृषि और छोटे कारोबार प्रमुख हैं, वहां भी एक फर्नीचर कारोबारी की हत्या ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।
ये दोनों मामले 2025 के अगस्त महीने में घटी घटनाएं हैं, जब देश में मानसून की बारिश हो रही थी और लोग त्योहारों की तैयारी में लगे थे। लेकिन इन घरों में, खुशियों की जगह मौत का साया था। पुलिस के अनुसार, दोनों ही मामलों में आरोपी अपने जीवनसाथी के आंसुओं के पीछे छिपे थे, और उनकी एक्टिंग इतनी सटीक थी कि शुरुआत में पुलिस को भी संदेह नहीं हुआ। लेकिन मोबाइल फोन की सीडीआर और सीसीटीवी फुटेज ने सच्चाई उजागर कर दी। सीडीआर, जो कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स का संक्षिप्त रूप है, फोन कॉल्स की लोकेशन, समय और संपर्कों को ट्रैक करता है। यह अपराध जांच में एक महत्वपूर्ण टूल बन चुका है, खासकर जब अपराधी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह, सीसीटीवी फुटेज ने घटनास्थल की वास्तविक तस्वीर प्रदान की।
अजमेर हत्याकांड: संजू देवी की दर्दनाक मौत
चलते हैं पहले अजमेर की घटना की ओर। 10 अगस्त 2025 को, रविवार का दिन था, और राखी का त्योहार पूरे देश में मनाया जा रहा था। रोहित कुमार, जो सिलोरा के भाजपा मंडल महामंत्री थे, अपनी पत्नी संजू देवी के साथ ससुराल रलावता गए थे। राखी बांधने के बाद, वे वापस लौट रहे थे। दोपहर करीब 2 बजे, बीच रास्ते में कुछ अज्ञात लोग आए, जिन्हें लुटेरे बताया गया। उन्होंने रोहित को धक्का देकर गड्ढे में गिरा दिया और संजू का चाकू से गला रेत दिया। मौके पर संजू के जेवर पड़े मिले, जो लूटपाट की कहानी को मजबूत करने की कोशिश थी। लेकिन पुलिस को यह थ्योरी संदिग्ध लगी क्योंकि जेवर क्यों छोड़ दिए गए?
पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। रोहित ने खुद को पीड़ित बताते हुए बयान दिया, लेकिन उसकी आंखों में छिपा डर पुलिस को नजर आया। जांच टीम ने रोहित के मोबाइल की सीडीआर निकाली। इसमें खुलासा हुआ कि रोहित का किसी अन्य लड़की से अफेयर चल रहा था। संजू को इसकी जानकारी थी और वह इसका विरोध करती थी। घर में झगड़े बढ़ गए थे, और रोहित संजू से छुटकारा पाना चाहता था। उसने हत्यारों को हायर किया और वारदात को लूटपाट का रूप दिया। सीडीआर से पता चला कि घटना से पहले रोहित ने कई कॉल्स किए थे, जो संदिग्ध नंबरों पर थे। लोकेशन ट्रैकिंग से साबित हुआ कि वह हत्यारों के संपर्क में था।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक पद पर बैठे लोग भी अपराध में लिप्त हो सकते हैं। रोहित भाजपा का महामंत्री था, जिससे समाज में उसकी छवि अच्छी थी, लेकिन अंदरूनी जीवन अलग था। संजू देवी एक सामान्य गृहिणी थीं, जिनकी मौत ने उनके परिवार को तोड़ दिया। पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार किया, और अब वह जेल में है। इस घटना से सीख मिलती है कि रिश्तों में विश्वास कितना महत्वपूर्ण है। अगर अफेयर जैसी समस्याएं हैं, तो काउंसलिंग या कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए, न कि हत्या।
शामली हत्याकांड: शहनवाज की हत्या और साजिश का जाल
अब शामली की घटना पर नजर डालते हैं। 7 अगस्त 2025 को, गुरुवार का दिन था। शहनवाज, जो फर्नीचर का कारोबार करते थे, अपनी पत्नी महफरीन के साथ बाइक पर खुरगान जा रहे थे। वहां महफरीन के ममेरे भाई की शादी थी। रास्ते में कैराना इलाके में कुछ लोग आए, जिन्हें लुटेरे कहा गया। उन्होंने शहनवाज के पास रखी डेढ़ लाख रुपये की नोटों की माला छीनने की कोशिश की, लेकिन विरोध पर उसे चाकू और गोली मार दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मारपीट के निशान और गोली के घाव मिले, जो साफ तौर पर हत्या की ओर इशारा करते थे। महफरीन ने खुद को बचाया बताते हुए पुलिस को बयान दिया, लेकिन उसकी कहानी में कई छेद थे।
पुलिस ने महफरीन के मोबाइल की सीडीआर चेक की। इसमें खुलासा हुआ कि महफरीन का तसव्वुर नाम के रिश्तेदार से अफेयर था। तसव्वुर महफरीन का दूर का रिश्तेदार था, और दोनों के बीच महीनों से बातचीत चल रही थी। शहनवाज को इसकी भनक लग गई थी, और वह इसका विरोध करता था। घर में तनाव बढ़ गया था। महफरीन ने तसव्वुर के साथ मिलकर शहनवाज की हत्या की साजिश रची। सीडीआर से पता चला कि घटना के दौरान महफरीन ने कोडवर्ड्स का इस्तेमाल किया, जैसे “मंजिल आने वाली है”, “पुल पार करो”, “थोड़ा इंतजार करो”। ये कोड्स तसव्वुर को लोकेशन बताने के लिए थे। उसने लाइव लोकेशन भी शेयर किया। सीसीटीवी फुटेज ने साबित किया कि हत्यारे पहले से इंतजार कर रहे थे।
यह साजिश इतनी चालाकी से बुनी गई थी कि महफरीन बाइक पर बैठी-बैठी फोन पर बात कर रही थी, जबकि शहनवाज ड्राइव कर रहा था। पुलिस की मानें तो महफरीन की एक्टिंग ऑस्कर लायक थी। वह रोती हुई पुलिस स्टेशन पहुंची, लेकिन सीडीआर ने सब उजागर कर दिया। तसव्वुर और महफरीन दोनों को गिरफ्तार किया गया। शहनवाज का परिवार अब न्याय की मांग कर रहा है। इस मामले में आर्थिक पहलू भी जुड़ा है, क्योंकि शहनवाज का कारोबार अच्छा चल रहा था, और महफरीन को संपत्ति पर नजर थी।
पुलिस जांच: तकनीक की भूमिका और चुनौतियां
दोनों मामलों में पुलिस की जांच सराहनीय है। अजमेर पुलिस ने रोहित की सीडीआर से सुराग पकड़ा, जबकि शामली पुलिस ने महफरीन की सीडीआर और सीसीटीवी का सहारा लिया। भारत में अपराध जांच में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। सीडीआर से कॉल हिस्ट्री, लोकेशन और संपर्क ट्रैक होते हैं, जो अपराधियों को पकड़ने में मदद करता है। लेकिन चुनौतियां भी हैं, जैसे प्राइवेसी के मुद्दे और फेक डाटा। पुलिस को ट्रेनिंग की जरूरत है ताकि वे इन टूल्स का सही इस्तेमाल कर सकें।
इन मामलों में, पुलिस ने शुरुआत में लूटपाट की थ्योरी पर काम किया, लेकिन सबूतों ने सच्चाई दिखाई। यह दिखाता है कि पुलिस को हर कोण से जांच करनी चाहिए। दोनों राज्यों की पुलिस ने समन्वय किया, हालांकि घटनाएं अलग-अलग थीं, लेकिन पैटर्न समान था।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
ये हत्याकांड समाज को आईना दिखाते हैं। एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स आजकल आम हो गए हैं, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के कारण। लेकिन इनसे निपटने का तरीका हत्या नहीं होना चाहिए। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे मामलों में ईर्ष्या, गुस्सा और असुरक्षा प्रमुख कारक होते हैं। रोहित और महफरीन दोनों ने अपने पार्टनर को खत्म करने का फैसला लिया, जो मानसिक असंतुलन दर्शाता है। समाज में काउंसलिंग सेंटर्स बढ़ाने की जरूरत है।
इन घटनाओं से महिलाओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं। संजू देवी और शहनवाज दोनों ही अपने जीवनसाथी के हाथों मारे गए। यह ट्रस्ट ब्रेक का उदाहरण है। परिवारों को रिश्तों में संवाद बढ़ाना चाहिए।
समान मामले और सबक
भारत में ऐसे कई मामले हुए हैं, जैसे 2020 में दिल्ली का एक केस जहां पत्नी ने पति की हत्या करवाई। ये मामले बताते हैं कि अपराध कोई सीमा नहीं जानता। पुलिस को और सख्त होना चाहिए, और जनता को जागरूक। तकनीक का सकारात्मक इस्तेमाल करें, न कि साजिश के लिए।
निष्कर्ष: न्याय की जीत और चेतावनी
अजमेर और शामली के ये मामले साबित करते हैं कि सच छिप नहीं सकता। पुलिस ने दोनों आरोपी पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया, और अब कोर्ट में केस चल रहा है। यह तकनीक की जीत है, लेकिन समाज की हार भी, क्योंकि रिश्ते टूट रहे हैं। हमें इनसे सीख लेकर बेहतर बनना चाहिए। (शब्द संख्या: लगभग 2050)
अजमेर में ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए सीडीआर पर पढ़ें।