pm modi photo

पीएम मोदी की मां पर अभद्र टिप्पणी के खिलाफ बिहार बंद का ऐलान: महिलाएं संभालेंगी मोर्चा

Politics

बिहार की राजनीति में एक बार फिर तल्खी का माहौल बन गया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां पर की गई कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में पूरे राज्य में बंद का ऐलान कर दिया है। यह फैसला एनडीए के नेताओं द्वारा लिया गया है, और विशेष रूप से महिलाओं को इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व सौंपा गया है। इस घटना ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को सीधे निशाने पर लिया है, जहां से यह टिप्पणियां आईं मानी जा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में बड़ा निभा सकता है, क्योंकि परिवार और सम्मान जैसे संवेदनशील विषय भारतीय राजनीति में हमेशा से केंद्र में रहे हैं।

मैं एक अनुभवी राजनीतिक पत्रकार के रूप में, पिछले दो दशकों से भारतीय राजनीति को करीब से देख रहा हूं। बिहार की राजनीति में ऐसे विवाद कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस बार का मामला प्रधानमंत्री की मां से जुड़ा होने के कारण ज्यादा गंभीर हो गया है। इस लेख में हम इस घटना की गहराई से जांच करेंगे, इसके पृष्ठभूमि, प्रभाव और राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करेंगे। हमारा उद्देश्य पाठकों को एक संतुलित और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है, जो तथ्यों पर आधारित हो।

राजद -कांग्रेस के मंच से मेरी माँ के लिए अपशब्द का इस्तमाल किया गया

यह पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब आरजेडी के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव ने एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की। लालू यादव ने कहा कि मोदी हिंदू नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मां के निधन के बाद सिर मुंडवाया नहीं था। यह बयान मोदी की मां हीराबेन के 2022 में हुए निधन का जिक्र करते हुए दिया गया था। लालू ने आगे कहा कि मोदी परिवारवाद को बढ़ावा देते हैं लेकिन खुद का कोई परिवार नहीं है। यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और भाजपा समेत पूरे एनडीए में आक्रोश फैल गया।

बिहार की राजनीति में लालू यादव का कद बहुत बड़ा है। वे कई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और आरजेडी के संस्थापक हैं। उनके बयान अक्सर विवादास्पद होते हैं, लेकिन इस बार का मामला इसलिए अलग है क्योंकि इसमें एक दिवंगत महिला का अपमान माना गया। मोदी ने खुद पटना में एक रैली में इसका जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष उनके परिवार पर हमला कर रहा है, लेकिन राष्ट्र उनका परिवार है। इस घटना ने बिहार के राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है, जहां पहले से ही जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे छाए हुए हैं।

एनडीए के नेताओं ने इस बयान को महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बताया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह न केवल मोदी की मां का अपमान है बल्कि पूरे राज्य की महिलाओं का अपमान है। इसलिए, बंद के दौरान महिलाओं को आगे रखा गया है, जो सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगी। यह रणनीति एनडीए की महिलाओं को सशक्त बनाने की नीति से जुड़ी हुई है।

See also  लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने किया कमिटी का गठन जस्टिस यशवंत वर्मा मामले की जांच

एनडीए की रणनीति और बंद का ऐलान

एनडीए ने इस बंद को राज्यव्यापी बनाने का फैसला किया है। बंद के दौरान सभी दुकानें, स्कूल और परिवहन सेवाएं बंद रहेंगी। एनडीए के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से विरोध मार्च निकालेंगे, और महिलाएं इन मार्चों का नेतृत्व करेंगी। बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह बंद विपक्ष की घटिया राजनीति के खिलाफ है। कांग्रेस और आरजेडी महिलाओं का सम्मान नहीं करते, इसलिए महिलाएं खुद मोर्चा संभालेंगी।”

यह बंद एनडीए की एकजुटता दिखाने का मौका भी है। गठबंधन में भाजपा, जदयू, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और अन्य दल शामिल हैं। नीतीश कुमार, जो जदयू के नेता हैं, ने भी इस बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि राजनीति में परिवार को घसीटना गलत है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और एनडीए सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है।

बंद के ऐलान से राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। विपक्ष ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया है, लेकिन एनडीए का कहना है कि यह जनभावना का प्रतिबिंब है। महिलाओं को आगे रखने से एनडीए महिला वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, जो बिहार चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।

कांग्रेस और आरजेडी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस और आरजेडी ने इस बंद को बेमानी बताया है। आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि लालू यादव का बयान गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उनका इरादा मोदी की नीतियों पर हमला करना था, न कि व्यक्तिगत अपमान। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि एनडीए मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाता है। वे विकास, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर बात करने से बच रहे हैं।

लेकिन एनडीए ने इन दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष हमेशा व्यक्तिगत हमलों पर उतर आता है जब उनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं होता। इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। हैशटैग #ModiMaaApmaan ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग अपनी राय साझा कर रहे हैं। कुछ लोग लालू के बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि बहुमत इसे अनुचित मान रहा है।

See also  दिल्ली और मुंबई में पशु अधिकार: आवारा कुत्तों और कबूतरों को लेकर छिड़ी बहस

यह घटना भारतीय राजनीति में व्यक्तिगत हमलों की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं, जैसे सोनिया गांधी पर हमले या राहुल गांधी के परिवार पर टिप्पणियां। लेकिन मोदी की मां जैसा संवेदनशील विषय उठाना विपक्ष के लिए उल्टा पड़ सकता है।

पीएम मोदी के आधिकारिक बयान के लिए देखें: प्रधानमंत्री का भाषण

बिहार में NDA की राजनीतिक प्रभाव

यह विवाद बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। बिहार में यादव और मुस्लिम वोट बैंक आरजेडी का मजबूत आधार है, जबकि एनडीए ओबीसी और ऊपरी जातियों पर निर्भर है। महिलाओं को आगे रखकर एनडीए महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहा है। हाल के सर्वेक्षणों में दिखा है कि महिलाएं विकास योजनाओं जैसे उज्ज्वला, जनधन से प्रभावित होती हैं, जो मोदी सरकार की हैं।

इस बंद से अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। बिहार जैसे राज्य में बंद का मतलब लाखों का नुकसान है। दुकानदार, परिवहन चालक प्रभावित होंगे। लेकिन एनडीए का मानना है कि सम्मान का सवाल बड़ा है। यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी है। अन्य राज्यों में भी भाजपा ने विपक्ष की निंदा की है।

मैंने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान देखा है कि ऐसे विवाद चुनावी माहौल बदल देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पुलवामा हमले ने माहौल बदला था, वैसे ही यह मुद्दा भावनात्मक अपील कर सकता है। एनडीए की रणनीति है कि वे इसे ‘मां का अपमान’ बनाकर जनता से जुड़ें।

महिलाओं की भूमिका और सशक्तिकरण

इस बंद में महिलाओं को मोर्चा संभालने का फैसला महत्वपूर्ण है। बिहार भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाएं सड़कों पर उतरेंगी और विपक्ष को जवाब देंगी। यह महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक है। मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला आरक्षण बिल। यह बंद उस दिशा में एक कदम है।

महिलाएं राजनीति में बढ़ती भूमिका निभा रही हैं। बिहार में पंचायत चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। यह बंद उन्हें राजनीतिक मंच देगा। लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह दिखावा है, क्योंकि एनडीए महिलाओं के मुद्दों पर चुप रहता है।

राजनीति में नैतिकता की जरूरत

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीति में व्यक्तिगत हमलों की जगह कितनी है। सम्मान, परिवार जैसे विषयों पर बहस होनी चाहिए, लेकिन अपमान नहीं। एनडीए का बंद एक प्रतिक्रिया है, लेकिन क्या यह समस्या का समाधान है? चुनाव आयोग को ऐसे बयानों पर संज्ञान लेना चाहिए।

आखिर में, बिहार की जनता फैसला करेगी। विकास या भावनाएं, क्या प्राथमिकता होगी? हम आगे की घटनाओं पर नजर रखेंगे।

Leave a Reply