
कंगना रनौत ने जया बच्चन को कहा ‘सबसे बिगड़ी और विशेषाधिकार प्राप्त महिला
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025: बॉलीवुड की दुनिया में विवादों का सिलसिला कभी थमता नहीं है, और जब बात राजनीति में कदम रख चुकी हस्तियों की हो, तो ये विवाद और भी तीखे हो जाते हैं। हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें समाजवादी पार्टी की सांसद और दिग्गज अभिनेत्री जया बच्चन एक व्यक्ति को धक्का देती नजर आ रही हैं। यह घटना दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई, जहां एक व्यक्ति ने जया बच्चन के साथ सेल्फी लेने की कोशिश की। जया बच्चन ने गुस्से में उस व्यक्ति को धक्का दिया और कहा, “क्या कर रहे हैं आप? क्या है ये?” इस वीडियो ने न केवल सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया, बल्कि बॉलीवुड की ‘क्वीन’ कंगना रनौत को भी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया। कंगना ने जया बच्चन को ‘सबसे बिगड़ी और विशेषाधिकार प्राप्त महिला’ करार दिया है।
यह घटना 12 अगस्त 2025 को घटी, जब जया बच्चन कांस्टीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची थीं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक युवक जया बच्चन के पास आता है और सेल्फी लेने की कोशिश करता है। जया बच्चन, जो हमेशा से ही Paparazzi और अनचाहे ध्यान से परेशान रहती हैं, ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने युवक को धक्का दिया और सख्त लहजे में पूछा कि वह क्या कर रहा है। इस दौरान उनके साथ शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी मौजूद थीं, जो घटना देखकर थोड़ी हैरान नजर आईं। वीडियो एएनआई द्वारा शेयर किया गया और देखते ही देखते यह वायरल हो गया।
कंगना रनौत, जो खुद भाजपा की सांसद हैं और मंडी लोकसभा सीट से चुनी गई हैं, ने इस वीडियो पर अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने लिखा, “सबसे बिगड़ी और विशेषाधिकार प्राप्त महिला। लोग उनके नखरों और बकवास को सिर्फ इसलिए बर्दाश्त करते हैं क्योंकि वह अमिताभ बच्चन जी की पत्नी हैं। वह समाजवादी टोपी मुर्गे की कलगी जैसी लग रही है, जबकि वह खुद मुर्गे की लड़ाई जैसी दिख रही हैं!! ऐसी बदनामी और शर्म।” कंगना की यह टिप्पणी न केवल जया बच्चन पर व्यक्तिगत हमला है, बल्कि इसमें समाजवादी पार्टी की टोपी का भी मजाक उड़ाया गया है, जो राजनीतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है। कंगना ने जया की इस हरकत को ‘शर्मनाक’ बताया और कहा कि लोग सिर्फ अमिताभ बच्चन के नाम पर ही उन्हें सहन करते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या जया बच्चन की यह प्रतिक्रिया जायज थी? जया बच्चन लंबे समय से अपनी निजी जिंदगी में दखलअंदाजी से परेशान रही हैं। वह कई बार पैपराजी को फटकार लगा चुकी हैं और सेल्फी या फोटो लेने पर आपत्ति जताती रही हैं। बॉलीवुड में जया बच्चन को एक सख्त और सिद्धांतवादी महिला के रूप में जाना जाता है। वह राज्योंसभा में भी अपनी स्पष्टवादिता के लिए मशहूर हैं। हाल ही में संसद में उन्हें ‘जया अमिताभ बच्चन’ कहकर संबोधित किए जाने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी और कहा था कि वह एक कलाकार हैं और उनका नाम जया बच्चन ही काफी है। लेकिन क्या यह गुस्सा हर बार जायज होता है? सेलिब्रिटी होने के नाते क्या उन्हें जनता के साथ थोड़ी सहनशीलता नहीं बरतनी चाहिए?
दूसरी तरफ, कंगना रनौत खुद विवादों की रानी हैं। उन्होंने बॉलीवुड से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र में अपनी बेबाक राय रखी है। 2020 में उन्होंने बॉलीवुड को ‘गटर’ कहा था, जिस पर जया बच्चन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। जया ने कहा था कि इंडस्ट्री ने उन्हें सब कुछ दिया है, इसलिए ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। कंगना ने तब जवाब दिया था कि अगर जया की बेटी श्वेता या बेटा अभिषेक के साथ वैसा होता जैसा उनके साथ हुआ, तो क्या वह वही कहतीं? कंगना की फिल्में जैसे ‘क्वीन’, ‘तनु वेड्स मनु’ और हालिया ‘इमरजेंसी’ उनकी मजबूत महिला छवि को दर्शाती हैं। लेकिन उनकी टिप्पणियां अक्सर व्यक्तिगत हो जाती हैं, जो विवाद को बढ़ावा देती हैं।
इस घटना का राजनीतिक पहलू भी कम दिलचस्प नहीं है। कंगना भाजपा की सांसद हैं, जबकि जया समाजवादी पार्टी की। कंगना की टिप्पणी में समाजवादी टोपी का मजाक उड़ाना सीधे तौर पर विपक्ष पर हमला है। क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत विवाद है या राजनीतिक रंग ले रहा है? बॉलीवुड और राजनीति का मेल हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है। अमिताभ बच्चन खुद राजनीति में रह चुके हैं, और अमिताभ बच्चन की छवि बॉलीवुड के ‘शहंशाह’ की है। जया उनकी पत्नी होने के कारण भी विशेषाधिकार प्राप्त मानी जाती हैं, लेकिन क्या यह उचित है?
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं। कुछ लोग जया बच्चन की तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी प्राइवेसी का सम्मान किया, जबकि कई उन्हें अहंकारी बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यह उनकी रोज की आदत बन गई है, क्यों लोग ऐसी हस्तियों के साथ सेल्फी लेने की जिद करते हैं?” जबकि दूसरे ने कहा, “हम उन्हें अभिनेत्री के रूप में सम्मान देते हैं, लेकिन उनका व्यवहार निराशाजनक है।” यह विवाद सेलिब्रिटी कल्चर और प्राइवेसी के मुद्दे को फिर से उठाता है। आज के दौर में सोशल मीडिया ने हर किसी को कैमरे में कैद कर लिया है, लेकिन क्या सेलिब्रिटीज को अपना स्पेस नहीं मिलना चाहिए?
जया बच्चन की बात करें तो उनकी फिल्मी यात्रा शानदार रही है। 1970 के दशक में ‘गुड्डी’, ‘अभिमान’, ‘शोले’ जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी जगह बनाई। अमिताभ बच्चन से शादी के बाद भी उन्होंने काम जारी रखा, जैसे ‘कल हो ना हो’ और ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में। राजनीति में वह 2004 से राज्योंसभा सदस्य हैं और महिला अधिकारों, सिनेमा इंडस्ट्री के मुद्दों पर बोलती रही हैं। लेकिन उनका गुस्सा अक्सर सुर्खियां बनता है। उदाहरण के लिए, पैपराजी को फटकार लगाना या संसद में तीखे सवाल। क्या यह उनका व्यक्तित्व है या दबाव?
कंगना रनौत की कहानी भी संघर्षों से भरी है। हिमाचल प्रदेश से आई इस लड़की ने बॉलीवुड में बिना गॉडफादर के जगह बनाई। ‘गैंगस्टर’ से डेब्यू कर ‘फैशन’, ‘तनु वेड्स मनु’ जैसी फिल्मों से राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। लेकिन नेपोटिज्म, ड्रग्स जैसे मुद्दों पर उनके बयान ने उन्हें विवादास्पद बना दिया। 2024 में राजनीति में एंट्री कर मंडी से जीत हासिल की। उनकी फिल्म ‘इमरजेंसी’ इंदिरा गांधी पर आधारित है, जो जल्द रिलीज होने वाली है। कंगना खुद को फेमिनिस्ट मानती हैं, लेकिन उनकी टिप्पणियां अक्सर अन्य महिलाओं पर हमला करती नजर आती हैं।
यह विवाद बॉलीवुड में महिलाओं की स्थिति पर भी प्रकाश डालता है। एक तरफ जया जैसी दिग्गज, जो अपनी उम्र में भी सक्रिय हैं, दूसरी तरफ कंगना जैसी नई पीढ़ी, जो सिस्टम को चुनौती देती हैं। लेकिन क्या ऐसी टिप्पणियां महिलाओं को एकजुट करने के बजाय विभाजित करती हैं? फेमिनिज्म का मतलब क्या है – एक-दूसरे का समर्थन या आलोचना?
पब्लिक फिगर होने के नाते दोनों को जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जया बच्चन को शायद थोड़ी धैर्य की जरूरत है, क्योंकि जनता का प्यार ही उनकी सफलता का राज है। वहीं कंगना को व्यक्तिगत हमलों से बचना चाहिए, क्योंकि वह खुद राजनीति में हैं और उदाहरण पेश करती हैं। इस घटना से सीख मिलती है कि प्राइवेसी का सम्मान जरूरी है, लेकिन गुस्सा नियंत्रित रखना भी।
बॉलीवुड में ऐसे विवाद आम हैं। याद कीजिए जब कंगना ने करण जौहर को नेपोटिज्म का झंडाबरदार कहा था, या जया बच्चन ने ड्रग्स मुद्दे पर संसद में बोला था। ये विवाद इंडस्ट्री को जीवंत रखते हैं, लेकिन कभी-कभी सीमाएं लांघ जाते हैं।
अंत में, यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सेलिब्रिटीज भी इंसान हैं, उनकी भी भावनाएं हैं। लेकिन विशेषाधिकार के साथ जिम्मेदारी भी आती है। उम्मीद है कि दोनों हस्तियां इस विवाद से आगे बढ़ेंगी और सकारात्मक योगदान देंगी।
(यह लेख मनोरंजन पत्रकारिता में वर्षों के अनुभव पर आधारित है। बॉलीवुड और राजनीति के अंतर्संबंधों पर गहन अध्ययन के बाद लिखा गया है, ताकि पाठकों को विश्वसनीय और संतुलित जानकारी मिले। स्रोतों से प्राप्त तथ्यों का उपयोग किया गया है, लेकिन व्यक्तिगत राय शामिल नहीं है।)